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ISKCON के चेयरमैन गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का निधन, तीन दिनों से अस्पताल में भर्ती रहें

गोपाल कृष्ण गोस्वामी

गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का तीन दिनों से सिनर्जी अस्पताल में इलाज चल रहा था। आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।

आज सुबह, इस्कॉन के सबसे वरिष्ठ संन्यासियों में से एक, और इस्कॉन इंडिया की गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का देहरादून में निधन हो गया। उन्होंने सुबह करीब साढ़े नौ बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से भक्तों में गहरा शोक है।

बता दें कि गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज दो मई को दूधली स्थित मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहां वह अचानक फिसलकर गिर गए थे। इससे उनके फेफड़ों में पंक्चर हो गया था।

तीन दिन तक सिनर्जी अस्पताल में उनका इलाज चला। आज सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली. इसकी पुष्टि अस्पताल के डॉक्टर कमल गर्ग ने की। भक्त दोपहर 3:30 बजे दिल्ली के इस्कॉन मंदिर में उनके अंतिम दर्शन कर सकते हैं। कल उनका पार्थिव शरीर वृन्दावन ले जाया जाएगा. अभी समय निर्धारित नहीं किया गया है.

गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का जन्म 1944 में नई दिल्ली में हुआ था और वह एक प्रतिभाशाली छात्र थे, जिन्होंने सोरबोन विश्वविद्यालय (फ्रांस) और मैकगिल विश्वविद्यालय (कनाडा) में अध्ययन करने के लिए दो छात्रवृत्तियां जीतीं। वह 1968 में कनाडा में अपने गुरु और इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद से मिले और तब से उन्होंने सभी की शांति और कल्याण के लिए दुनिया भर में भगवान कृष्ण और सनातन धर्म की शिक्षाओं को फैलाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया।

गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज कौन थे?

14 अगस्त, 1944 को अन्नदा एकादशी के शुभ दिन, नई दिल्ली में जन्मे महाराज का मूल नाम, गोपाल कृष्ण, श्रील प्रभुपाद ने उनकी हरिनाम दीक्षा के बाद रखा था। महाराज ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त करते हुए अपने प्रारंभिक वर्ष भारत में बिताए।

गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज एक प्रमुख भक्ति आंदोलन के स्तंभ के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अपने जीवन को भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और सेवा में समर्पित किया। उन्होंने भागवत कथा के माध्यम से लाखों लोगों को भगवान के प्रेम और भक्ति के महत्व को सिखाया।

गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज ने वैष्णव धर्म की प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके शिष्यों की बड़ी संख्या उनकी शिक्षाओं को अपनाकर उनके पाठ्यक्रम का पालन करती हैं।

गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज के अनेक ग्रंथ और कथाएं हिंदी और अन्य भाषाओं में उपलब्ध हैं, जो भक्ति और आध्यात्मिकता के विषयों पर आधारित हैं। उनका योगदान भक्ति आंदोलन की नींव में विशेष माना जाता है।

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