Agriculture

Rice Cultivation and Fish Farming : तमिलनाडु में जैविक मिलीजुली खेती का अनोखा मॉडल , धान की खेती और मछलीपालन

Rice Cultivation and Fish Farming

Rice Cultivation and Fish Farming : तमिलनाडु में एक खास तरह की खेती फल-फूल रही है जो कि बहुत ही अनोखी और कारगर है। यहाँ मछली के तालाब को धान के खेत में और फिर वापस मछली के तालाब में बदलने का एक चक्रीय तरीका अपनाया जाता है। इस प्रक्रिया में मछलियाँ प्रोटीन से भरपूर शैवाल खाती हैं जो तालाब में ही उगता है, और यह शैवाल मछलियों की पोषण की जरूरतों को पूरा करता है।

प्रोटीन से भरपूर शैवाल का महत्व :-

मछलियाँ इस शैवाल को खाकर अमोनिया निकालती हैं, जो नाइट्रोजन में बदल जाती है और चावल उगाने में सहायक होती है। किसान पनया बताते हैं कि शैवाल मछलियों को पोषण से भरपूर और स्वादिष्ट बनाता है, और यह शैवाल थोड़ी सी मात्रा में 15 दिनों में खूब फैल जाता है, 50 किलो शैवाल जल्द 5 टन बन जाता है।

    • मछलियाँ प्रोटीन से भरपूर शैवाल खाती हैं।
    • शैवाल मछलियों को पोषण से भरपूर और स्वादिष्ट बनाता है।
    • शैवाल तालाब में ही उगता है और मछलियाँ इसे खाकर अमोनिया निकालती हैं, जो नाइट्रोजन में बदल जाती है और चावल उगाने में सहायक होती है।
    • 50 किलो शैवाल जल्द 5 टन बन जाता है।

Rice Cultivation and Fish Farming

मछली पालन की प्रक्रिया :-

मछली पालन में धूप का प्रभाव शैवाल की उपस्थिति से कम हो जाता है और चार से पांच महीनों में मछलियाँ निकालने लायक हो जाती हैं। पनया कई प्रकार की मछलियाँ उगाते हैं और वे अपनी मछलियाँ स्थानीय बाजार में बेचते हैं।

  • मछलियाँ चार से पांच महीने बाद शैवाल को हजम कर लेने के बाद निकालने लायक हो जाती हैं।
  • अलग-अलग किस्म की मछलियाँ उगाई जाती हैं जैसे कार्प, रोहू, पोटला, और मरेल।

Rice Cultivation and Fish Farming

जैविक खेती का तरीका :-

पनया का खेती करने का तरीका जैविक है और वे किसी भी रासायनिक खाद या कीटनाशक का उपयोग नहीं करते, जिससे उनकी लागत भी कम होती है। इस प्रकार की खेती को जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग कहते हैं, जहाँ एक फसल का कचरा दूसरी फसल के लिए खाद का काम करता है।

  • बिना रासायनिक खाद और कीटनाशक के खेती की जाती है।
  • शून्य बजट की प्राकृतिक खेती (जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग) कहलाती है।
  • एक फसल का कचरा दूसरी फसल के लिए खाद का काम करता है।

आर्थिक लाभ :-

पनया इस मिलीजुली खेती से सालाना लगभग 10 लाख रुपये कमाते हैं और उन्होंने इस पद्धति को अन्य किसानों तक पहुँचाने का भी प्रयास किया है। उनका मानना है कि अगर हर किसान इस पद्धति को अपनाए तो यह न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद होगी, बल्कि पर्यावरण के लिए भी लाभकारी साबित होगी।

  • 12 एकड़ के खेत में प्रति हफ्ते 300 किलो मछलियाँ पैदा होती हैं, यानी महीने में एक टन।
  • सालाना कमाई 10 लाख रुपये तक होती है।

सर्कुलर इकॉनमी के लिए उपयुक्तता :-

पनया ने अपनी खेती की सफलता से प्रेरित होकर देश भर में घूमकर इस पद्धति को फैलाने का काम किया है। उनका मानना है कि भारत में करीब 2 करोड़ हेक्टेयर जमीन इस प्रकार की सर्कुलर इकॉनमी के लिए उपयुक्त है, लेकिन फिलहाल सिर्फ 1% जमीन पर ही ऐसी खेती हो रही है।

  • भारत में करीब 2 करोड़ हेक्टेयर जमीन इस प्रकार की खेती के लिए उपयुक्त है।
  • फिलहाल सिर्फ 1% जमीन पर ही ऐसी खेती हो रही है।

पनया इस मिश्रित खेती से सालाना लगभग 10 लाख रुपये कमाते हैं और उन्होंने इस पद्धति को अन्य किसानों तक पहुँचाने का भी प्रयास किया है। उनका मानना है कि अगर हर किसान इस पद्धति को अपनाए तो यह न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद होगी, बल्कि पर्यावरण के लिए भी लाभकारी साबित होगी।

 

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