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भारत यह ₹1,00,000 करोड़ की सेमीकंडक्टर फैक्ट्री क्यों बना रहा है?

semiconductor industry

भारत में अर्धचालक उद्योग: भविष्य की दिशा

भारत में semiconductor industry की शुरुआत हो रही है। नोएडा, धोलेरा और असम में ₹1 लाख करोड़ की लागत से तीन फैक्ट्रियां बनाई जाएंगी। ताइवान की PSMC, अमेरिका की माइक्रोन और जापान की रेनसास जैसी बड़ी कंपनियों ने इनमें निवेश किया है।

इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका

भारत अब दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है, जहां लैपटॉप और घड़ियों जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मांग तेजी से बढ़ रही है। इन सभी उपकरणों में माइक्रोचिप्स का महत्वपूर्ण भूमिका होती है जो उपकरण की कार्यप्रणाली में अहम भूमिका निभाते हैं। semiconductor industry वर्तमान में भारत स्वयं इन चिप्स का निर्माण नहीं कर सकता और अधिकतर चिप्स चीन से आयातित होते हैं।

semiconductor industry का महत्व

भारत और अन्य देशों की सरकारें इस उद्योग को नियंत्रित कर रही हैं। इसका कारण यह है कि semiconductor industry उपकरण आज के आधुनिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। कोई भी देश इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्माण में अग्रणी होना चाहेगा। भारत में 2011 से 2023 तक इलेक्ट्रॉनिक्स आयात में भारी वृद्धि हुई है। इसलिए, सरकार ने देश में इनका निर्माण करने की योजना बनाई है, जैसे कि मोबाइल फोन निर्माण के मामले में किया गया था। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता है।

semiconductor industry क्या हैं?

semiconductor industry वे पदार्थ होते हैं जो कंडक्टर से कम और इंसुलेटर से अधिक करंट को प्रवाहित करते हैं। इनकी कंडक्टिविटी को मिलाए गए अशुद्धियों के माध्यम से बदला जा सकता है। यह सामग्री करंट को केवल एक दिशा में प्रवाहित कर सकती है, जिससे प्रकाश उत्पन्न हो सकता है और बिजली का उत्पादन भी किया जा सकता है।

semiconductor industry का इतिहास

semiconductor industry का इतिहास 1833 में शुरू हुआ जब माइकल फैराडे ने देखा कि सिल्वर सल्फाइड का प्रतिरोध तापमान बढ़ने पर कम हो गया। 1947 में बेल लेबोरेटरीज में जॉन बर्डेन और वॉल्टर ब्रिटेन ने पॉइंट कॉन्टैक्ट ट्रांजिस्टर का आविष्कार किया, जिसने इलेक्ट्रॉनिक्स में क्रांति ला दी। 1958 में फेयरचाइल्ड semiconductor industry ने सिलिकॉन से बने ट्रांजिस्टर का उत्पादन शुरू किया, जिससे उन्हें IBM के साथ एक महत्वपूर्ण अनुबंध मिला।

भारत में अर्धचालक उद्योग की चुनौतियाँ

semiconductor industry

भारत में semiconductor industry स्थापित करने के लिए कई चुनौतियाँ हैं, जैसे कि नौकरशाही और नीतिगत अड़चनें। जल और बिजली की कमी भी एक बड़ी समस्या है। 2022 में भारत को बिजली की भारी कमी का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा, semiconductor industry निर्माण में उपयोग किए जाने वाले विषैले रसायनों से स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।

वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजनाएँ

भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र देश के GDP में केवल 1.7% का योगदान देता है। ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन में यह संख्या क्रमशः 15.5%, 15% और 13% है। भारत में 8 लाख इंजीनियर हर साल स्नातक होते हैं, लेकिन उनमें से बहुत कम इस उद्योग में काम करने के योग्य होते हैं।

मार्च 2023 में, सरकार ने तीन अर्धचालक फैब्रिकेशन संयंत्रों और दो पैकेजिंग और परीक्षण सुविधाओं में ₹ 1,25,000 करोड़ के निवेश की घोषणा की। धोलेरा, गुजरात में स्थापित होने वाली यह फैब संयंत्र भारत का पहला सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट होगा।

भारत में semiconductor industry की स्थापना के लिए बेहतर कौशल पाठ्यक्रमों की आवश्यकता है और स्थानीय निर्माण के लिए कंपनियों को कुछ प्रोत्साहन देने की भी जरूरत है। यह भी जरूरी है कि नौकरशाही और नीतिगत अड़चनों को दूर किया जाए ताकि इस उद्योग का विकास हो सके।

अंततः, भारत को semiconductor industry में आत्मनिर्भर बनने के लिए इन चुनौतियों का समाधान करना होगा और एक मजबूत नीति और निवेश योजना के साथ आगे बढ़ना होगा।

 

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